विश्वास का असंभव संघर्ष
विश्वास का असंभव संघर्ष
Blog Article
कभी-कभी सबसे गहरी जुड़ाव में भी परेशानियां पैदा हो सकती है। जब इच्छाएं गहराई तक जाती हैं, तो परिस्थितियों का प्रशिक्षण भी अनपेक्षित हो सकता है।
भरत के प्रस्थान का अंत
यहाँ भूली हुई नगरी में उत्साह छाया हुआ था। लोग राजा भरत की उम्मीद से व्याकुल थी। वह अपने राजा का अभिनंदन करने के लिए तैयार थे। अपने राज्य को फिर से पाने का आकांक्षा उन सभी भावनाओं में समाया हुआ था।
उनकी पुनरागमन एक नई शुरुआत का संकेत थी। जनता उस दिन को लेकर उत्सुक था। भरत राजा की उपस्थिति उनकी भूमि के लिए एक नया युग शुरू करेगी।
धर्म एवं प्रेम का सम्मेलन
प्रेम सर्वोत्तम अस्तित्व का मुख्य ज्ञान है। यह आत्मा को शांति प्रदान करता है। धर्म, तो जीवन जीने के लिए एक मार्ग प्रदान करता है, जो हमें अनुचित मार्ग पर ले जाता है। जब प्रेम और धर्म का मिलन होता है, तो जीवन का अर्थ पूर्ण हो जाता है। यह भावना हमें एक शक्तिशाली और निर्भीक प्रेरणा प्रदान करता है जो जीवन को सफल बनाती है।
पढाई के साधने से विश्वास
विश्वआधुनिक सभ्यता में विद्या का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण है. विद्यार्थी जीवन के आरंभ से ही हमें यह सिखाया जाता है कि ज्ञान अर्जन ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है. विद्या के बल पर विश्वास रखने से हम न केवल अपने व्यक्तिगत विकास में सफल होते हैं बल्कि समाजकी भी विकास प्रदान करते हैं. यह हमारे कर्तव्य है कि लगातार ज्ञान अर्जित करना जारी रखें और विद्या के प्रति हमेशा प्रेम और आदर का भाव रखें.
माता की प्रेरणा , बन्धन भाई का
एक मां की प्रेरणा है, वह जगमगाती तारा जहाँ भी देखो। उसका प्यार एक गहरी नदी की तरह बहता है और हर कदम पर वह हमें आगे बढ़ाने में मदद करती हैं। उसके आशीर्वाद से ही हम अपनी पसंद का मार्ग चुन सकते हैं। एक भाई के प्रति वचन, एक जज़्बा जो कभी कम नहीं होता, हमेशा साथ रहने की शपथ है। वो हमारा दोस्त, विश्वासपात्र और साथी है, जिसे हम हर मुश्किल में सहारा मानते हैं।
राष्ट्र-संरक्षण का उद्देश्य
एक सच्चे दशक/यूग/काल में मानवता/जनता/समाज की भलाई ही सर्वोपरि होती है। रामराज्य, वह आदर्श राज्य जो न्याय/सच्चाई/धर्म के साथ संचालित होता है और हर नागरिक को समानता/प्रेम/भागीदारी देता है। यह एक ऐसा राज्य होगा जहाँ शांति/अमन/कल्याण का प्रचलन हो और गरीबी/विश्वासघात/अत्याचार दूर हों। रामराज्य की स्थापना, केवल here एक भाषण नहीं, बल्कि एक आवश्यकता/संकल्प/दायित्व है।
यह राज्य हमें ज्ञान/योग्यता/विकास से लैस करके और नैतिकता/धार्मिकता/मूल्यों को स्थापित करके ही प्राप्त होगा। हर नागरिक को अपने कर्तव्यों/भूमिकाओं/प्रतिबद्धताओं का पालन करना चाहिए ताकि हम एक साथ रामराज्य की नींव रख सकें।
Report this page